सरहद पार

सरहद पार


सरहद पार से चंद भेड़िए अपने घर घुस आए
कायरता से मासूमों पर हमला कर इतराए
समझ रहे वो जिसे बहादुरी, वीरों का नहीं काम
नहीं कभी भी सोचा होगा, होगा क्या अंजाम।

सोते शेर को छेड़ जगाना पड़ता सदा ही भारी
छल से तुमने हमें सताया, अब है अपनी बारी
किया जो तुमने सजा तो उसकी तुम पाओगे
ये ना समझना करके शरारत बच पाओगे।

राम की धरती है ये, कृष्ण के हैं हम अनुयायी
पहले प्यार से समझाते, मत कर गलती भाई
फिर भी ना माने कोई तो समझाना भी आता है
सौ गलती करके माफ सबक सिखाना भी आता है।

घर में घुस कर करते हैं फिर ऐसा हम प्रहार
छप्पन इंच का सीना देख के दुश्मन माने हार
अगर ठान लें अपनी सी तो हमको रोक ना पाएं
भारत मां के रणबांकुरे सबको धूल चटाएं।।

आभार – नवीन पहल – ०१.०४.२०२३ 😊😊

# प्रतियोगिता हेतु


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4 Comments

बेहतरीन

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Reena yadav

02-Apr-2023 05:33 AM

👍👍

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कमाल का लिखा आपने

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